Monday, March 25, 2019

Apple इवेंट आज, Netflix और Amazon Prime को मिलेगी कड़ी टक्कर

ऐपल का आज Show Time इवेंट है. इस इवेंट में कंपनी नई वीडियो स्ट्रीमिंग सर्विस लॉन्च करने की तैयारी में है. नेटफ्लिक्स और ऐमेजॉन प्राइम को इससे सीधी टक्कर मिलेगी. कुछ महीने से लगातार ऐपल के वीडियो स्ट्रीमिंग सर्विस से जुड़ी रिपोर्ट्स आ रही हैं. ऐपल इस लॉन्च के साथ अपने कई ऑरिजनल कॉन्टेंट भी लॉन्च करेगी.

ऐपल के इस इवेंट की शुरुआत भारतीय समयानुसार रात के 10.30 बजे से शुरू होगा. ऐपल का ये स्पेशल इवेंट स्टीव जॉब्स थियेटर में आयोजित होगा. कंपनी इसकी लाइव स्ट्रीमिंग करेगी और आप इसे लाइव देख सकेंगे. इसके लिए आपको इस लिंक को फॉलो करना है. apple.com/apple-events/livestream

रिपोर्ट के मुताबिक ऐपल अपनी वीडियो स्ट्रीमिंग सर्विस के साथ इस मार्केट को डिसरप्ट कर सकती है. क्योंकि कंपनी एचबीओ, शोटाइम और स्टार्ज के कॉन्टेंट के साथ वीडियो स्ट्रीमिंग स्पेस में धमाकेदार एंट्री की तैयारी कर रही है. ऐपल नेटफ्लिक्स की तरह ही ऑरिजनल कॉन्टेंट भी अपनी इस वीडियो स्ट्रीमिंग सर्विस पर देगी. 

ऐपल के इस इवेंट को मैकबुक, आईमैक पर देख सकते हैं. इसके अलावा माइक्रोसॉफ्ट Windows 10 के ऐज ब्राउजर और क्रोम या फायरफॉक्स पर इसे देख सकते हैं. इसके अलावा इस बार कंपनी ट्विटर पर भी लाइव स्ट्रीमिंग कर रही है. ट्विटर पर लाइव अपडेट्स के लिए ऐपल के ट्वीट को लाइक कर सकते हैं.

इस इवेंट में क्या होगा लॉन्च

--- ऐपल के इस इवेंट में हार्डवेयर प्रोडक्ट लॉन्च होने की कोई उम्मीद नहीं है. इस दौरान कंपनी सर्विस लॉन्च करेगी और इसमें मुख्य वीडियो स्ट्रीमिंग सर्विस होगी.

--- न्यूज और मैगजीन सर्विस की भी शुरुआत की जा सकती है. इनमें से कुछ सर्विस पेड होगी.

--- रिपोर्ट्स के मुताबिक इस इवेंट में ऐपल क्रेडिट कार्ड भी लॉन्च हो सकता है. ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक iOS 12.2 में को ब्रांडेड ऐपल क्रेडिट कार्ड आएगा जिसे गोल्डमैन और सैक्स के साथ मिलकर बनाया गया है.

कांग्रेस ने अपने मुस्लिम प्रत्याशियों के जरिए सपा-बसपा गठजोड़ का करारा जवाब दिया था. कांग्रेस ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश की चार लोकसभा सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारे थे. मुरादाबाद, बिजनौर, सहारनपुर और अमरोहा चार ऐसे लोकसभा क्षेत्र हैं, जहां से कांग्रेस ने मुस्लिम चेहरों को मौका दिया है. मुरादाबाद से इमरान प्रतापगढ़ी, बिजनौर से नसीमुद्दीन सिद्दीकी, सहारनपुर से इमरान मसूद और अमरोहा से राशिद अलवी को टिकट दिया गया है. ये चारों सिर्फ प्रत्याशी भर नहीं हैं, बल्कि इनकी अपनी अलग खास पहचान भी है. अब इनमें से एक राशिद अल्वी ने चुनाव लड़ने से मना कर दिया है. कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता राशिद अल्वी पूरे देश में अपनी पहचान रखते हैं.

राशिद के चुनाव नहीं लड़ने से कांग्रेस को बड़ा झटका

अब तक मायावाती लगातार कांग्रेस पर हमले कर रही थीं. इसके जवाब में कांग्रेस ने चार मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में उतार दिए थे. राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो जिन लोकसभा सीटों पर 20 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम आबादी है, और वहां गठबंधन का कोई मुस्लिम उम्मीदवार नहीं है, वहां कांग्रेस ने अपने मजबूत मुस्लिम उम्मीदवार उतारने की रणनीति अपनाई है. लेकिन राशिद अगर चुनाव नहीं लड़ेंगे तो मायावती की पार्टी बसपा के अमरोहा प्रत्याशी दानिश अली के जीतने की उम्मीद बढ़ जाएंगी. पश्चिमी यूपी में कांग्रेस के मुस्लिम उम्मीदवारों वाली रणनीति सपा-बसपा गठबंधन को नुकसान पहुंचाने वाली थी, लेकिन अब राशिद अल्वी के जाने के बाद गठबंधन को अच्छा मौका मिल सकता है.

चारों सीटों पर मुस्लिम मतदाता सबसे बड़ा निर्णायक

पश्चिमी यूपी के चारों लोकसभा क्षेत्रों में मुसलमान वोट न सिर्फ निर्णायक भूमिका में है, बल्कि वह नेतृत्व करता भी नजर आता है. मुरादाबाद सीट पर 45 फीसदी, बिजनौर सीट पर 38 फीसदी, सहारनपुर सीट पर 39 फीसदी और अमरोहा सीट 37 फीसदी मुसलमान है.

Monday, March 18, 2019

लोकसभा चुनाव 2019: तन कर चलने वाली बीजेपी बिहार में नीतीश के सामने क्यों झुकी- नज़रिया

बिहार में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) अपने सहयोगी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) और लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) से क़दम-क़दम पर समझौता करने को विवश दिख रही है.

आगामी लोकसभा चुनाव में राज्य की कुल 40 सीटों में से जिन सीटों पर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के ये तीनों घटक चुनाव लड़ेंगे, उनकी सूची से भी बीजेपी की मजबूरी झलक उठती है.

यानी राज्य के मुख्यमंत्री और जेडीयू के अध्यक्ष नीतीश कुमार ने सीटों के चयन में अपने दलीय हित के अनुकूल बीजेपी नेतृत्व को जैसे चाहा वैसे झुका लिया.

बिहार में बराबर-बराबर (17-17) सीटों की हिस्सेदारी क़बूल कर बीजेपी ने अपनी जीती हुई पांच सीटें जेडीयू के लिए पहले ही छोड़ दी थी. अब यह सामने आया है कि संसदीय क्षेत्र चुनने में भी जेडीयू को तरजीह देने के लिए बीजेपी ने अपने हक़ या दावे बिल्कुल ढीले कर दिए.

ज़ाहिर है कि चुनावी राजनीति में ऐसा वही करता है, जिसे अपने कमज़ोर या घटते जनसमर्थन का अहसास हो जाय और वैसी सूरत में सहयोगी दल के आगे झुकना उसे ज़रूरी लगने लगे.

बिहार में बराबर-बराबर (17-17) सीटों की हिस्सेदारी क़बूल कर बीजेपी ने अपनी जीती हुई पांच सीटें जेडीयू के लिए पहले ही छोड़ दी थी. अब यह सामने आया है कि संसदीय क्षेत्र चुनने में भी जेडीयू को तरजीह देने के लिए बीजेपी ने अपने हक़ या दावे बिल्कुल ढीले कर दिए.

ज़ाहिर है कि चुनावी राजनीति में ऐसा वही करता है, जिसे अपने कमज़ोर या घटते जनसमर्थन का अहसास हो जाय और वैसी सूरत में सहयोगी दल के आगे झुकना उसे ज़रूरी लगने लगे.

बीजेपी के प्रभाव वाले भागलपुर संसदीय क्षेत्र का उदाहरण सामने है. वहां पूर्व सांसद शाहनवाज़ हुसैन की उम्मीदवारी को दरकिनार कर दिया गया और जेडीयू के लिए यह सीट छोड़ दी गई.

इसी तरह गिरिराज सिंह की जीती हुई नवादा लोकसभा सीट उनसे छीनकर एलजेपी के हिस्से में डाल दी गई.

वाल्मीकि नगर, सिवान, गोपालगंज, झंझारपुर और गया लोकसभा सीटों पर पिछले चुनाव में जीत हासिल करने वाली बीजेपी इस बार वहां से हट गई और उसने जेडीयू को इन पांचों सीटों की उम्मीदवारी सौंप दी.

इस उदारता को मजबूरी मानने वालों के मुताबिक़, वर्ष 2014 जैसा जनसमर्थन नामुमकिन समझ कर बीजेपी ने गठबंधन में तन कर नहीं, झुक कर काम चलाने की रणनीति अपनाई. लेकिन, इस रणनीति का जोखिम भी अब नज़र आने लगा है.

पार्टी के जो नेता इससे प्रभावित हुए हैं, उनकी नाराज़गी अब विद्रोह या भीतरघात की शक्ल में कई सीटों पर पार्टी प्रत्याशियों के लिए मुश्किलें पैदा कर सकती है.

वैसे, चुनावी टिकट के लिए दलबदल कोई नई बात या बड़ी बात नहीं समझी जाती है, फिर भी बिहार में इस बार बीजेपी के सामने यह समस्या विकट हो सकती है.

ऐसा इसलिए क्योंकि जेडीयू के लिए बीजेपी ने अपने प्रभाव वाले कई ऐसे संसदीय क्षेत्र छोड़ दिए हैं जहाँ प्रतिक्रियावश एनडीए-विरोधी दलों को इसका फ़ायदा मिल सकता है.

एक दलील यह भी दी जाती है कि राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) से खार खाए हुए सामाजिक तबक़े में सिर्फ़ बीजेपी ही नहीं जेडीयू समर्थकों की भी अच्छी-ख़ासी तादाद है. इसलिए दोनों के मेल से बनी ताक़त ही आरजेडी को कड़ी चुनौती दे सकती है.

बिहार में एनडीए की चुनावी-तैयारी और हलचल पर ग़ौर करें तो यह साफ़ दिखता है कि नीतीश कुमार के नेतृत्व में जेडीयू आगे-आगे और बीजेपी पीछे-पीछे चल रही है.

यहाँ एनडीए के लिए सीटों के चयन में जेडीयू को बड़े भाई की भूमिका निभाते देखा गया और इस बाबत सूची भी जेडीयू दफ़्तर से ही जारी हुई.

सबसे ख़ास बात यह कि मुखर जेडीयू अपने लिए मनचाहे क्षेत्रों के चयन में बीजेपी को मौन कर देने में कामयाब रहा.

सीटों के बँटवारे में अपनी पार्टी को यहाँ बीजेपी के समकक्ष पहुँचा कर अब नीतीश कुमार चुनावी सफलता में भी बढ़त बनाने को बेहद तत्पर दिखते हैं. इसलिए कुछ लोग इसमें बीजेपी के लिए आगे ख़तरे का संकेत सूँघने लगे हैं.

उधर आरजेडी और कांग्रेस समेत छह पार्टियों के महागठबंधन में 'सीट शेयरिंग' को लेकर उत्पन्न गतिरोध और वामपंथी मोर्चे का महागठबंधन से अब तक सामंजस्य नहीं हो पाना एनडीए-ख़ेमे को उत्साहित कर रहा है.

हालाँकि यह सवाल भी उठने लगा है कि पुलवामा के आतंकी हमले और बालाकोट एयर-स्ट्राइक के बाद सिर्फ़ अपने पक्ष में जनउभार महसूस करने वाली बीजेपी अभी भी अपने सहयोगी दलों की इतनी तलबगार क्यों दिखती है?

वैसे, ज्यों-ज्यों समय बीत रहा है, त्यों-त्यों इन दोनों घटनाओं का जनमानस पर छाया हुआ गहरा असर धीरे-धीरे मलिन होने लगा है.

अब तो चुनावी स्वार्थ जनित गठबंधनों के अंतर्कलह को सतह पर ला देने वाले विवाद भी उभरने शुरू हो गए हैं.

Friday, March 15, 2019

कांग्रेस की चुप्पी से केजरीवाल के बाद शिवपाल भी बेहाल, ऐसे बयां किया दर्द

दिल्ली में आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल को अंतिम समय तक यह लगता रहा कि कांग्रेस दिल्ली की 7 लोकसभा सीटों पर उनकी पार्टी से गठबंधन करेगी. लेकिन दिल्ली कांग्रेस की प्रमुख शीला दीक्षित ने यह साफ कर दिया कि उनकी पार्टी अकेले चुनाव मैदान में उतरेगी. इससे को नाउम्मीदी हाथ लगी और अरविंद केजरीवाल तभी से कांग्रेस को कोस रहे हैं और उस पर आरोप लगा रहे हैं कि वह बीजेपी को जिताना चाहती है. केजरीवाल की तरह ही प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल यादव को भी निराशा हाथ लगी है. उन्होंने भी गठबंधन में नहीं होने पर कांग्रेस को आड़े हाथों लिया है. 

शिवपाल यादव ने बयान जारी कर अपनी नाराजगी जाहिर की है. उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधा और कहा कि हमने कांग्रेस का एक महीने तक इंतजार किया. कांग्रेस के नेता रोज मीटिंग करते रहे, लेकिन बीच में सूची जारी कर दी. कांग्रेसी नेता भी झूठे लोग हैं.

हाल ही में कांग्रेस के साथ गठबंधन के सवाल पर शिवपाल यादव ने कहा था, 'हम दूसरे अन्य धर्मनिरपेक्ष दलों के साथ मिलकर गठबंधन बनाने जा रहे हैं. हम सेकुलर पार्टियों से गठबंधन को तैयार हैं. उसमें एक कांग्रेस भी है. अगर कांग्रेस हमसे गठबंधन के लिए संपर्क करेगी तो हम बिल्कुल तैयार हैं.' शिवपाल ने कांग्रेस से गठबंधन के सवाल पर कहा था कि कांग्रेस भी एक सेक्युलर पार्टी है और अगर वह बीजेपी को हराने के लिए हमसे संपर्क करती है तो हम उसका समर्थन करेंगे.

शिवपाल यादव ने सपा-बसपा गठबंधन को ठगबंधन करार दिया था. उन्होंने कहा कि यह ठगबंधन है और पैसे के लिए किया गया है. वहीं, कांग्रेस के यूपी प्रभारी गुलाम नबी आजाद ने कहा है कि यूपी में कांग्रेस के साथ कोई भी सेकुलर पार्टी आती है, जिसका मकसद बीजेपी को हराना है तो हम उसका स्वागत करेंगे. लेकिन लगता है कि प्रगतिशील समाजवादी पार्टी और कांग्रेस का गठबंधन मूर्त रूप नहीं ले पाया है. शायद इसीलिए शिवपाल भी अरविंद केजरीवाल की तरह अपनी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं.

फिलहाल, अरविंद केजरीवाल को अब भी कांग्रेस से गठबंधन की उम्मीद बनी हुई है. उन्होंने 13 मार्च को ट्वीट कर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से अपील की कि हरियाणा में कांग्रेस गठबंधन करने पर विचार करे. उन्होंने लिखा, 'देश के लोग अमित शाह और मोदी जी की जोड़ी को हराना चाहते हैं. अगर हरियाणा में JJP, AAP और कांग्रेस साथ लड़ते हैं तो हरियाणा की 10 सीटों पर बीजेपी हारेगी. राहुल गांधी जी इस पर विचार करें.'

भारतीय जनता पार्टी ने नरेंद्र मोदी का एक 27 साल पुराना वीडियो जारी किया है. इस वीडियो में नरेंद्र मोदी श्रीनगर के लाल चौक पर तिरंगा फहराने जा रहे हैं. इस वीडियो में नरेंद्र मोदी जोशीला भाषण देते नजर आ रहे हैं. इस वीडियो को अपने आधिकारिक ट्वीटर अकाउंट से ट्वीट करते हुए बीजेपी ने लिखा है, "शेरों के तेवर नहीं बदलते."

ये साल था 1992. जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद नया-नया पैर पसार ही रहा था. नरेंद्र मोदी उस वक्त बीजेपी के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी की इस टीम के सदस्य थे, जो जबरदस्त आतंक के दौर में श्रीनगर के लाल चौक पर तिरंगा फहराने जा रही थी. आतंकियों ने बीजेपी नेताओं के इस आह्वान का विरोध किया था और श्रीनगर आने पर हमले की धमकी दी थी.

दरअसल बीजेपी ने कन्याकुमारी से एकता यात्रा शुरू करते हुए 26 जनवरी 1992 में श्रीनगर के दिल लाल चौक पर तिरंगा फहराने का ऐलान किया था. बीजेपी द्वारा जारी ये वीडियो 24 जनवरी 1992 का है. इस वीडियो में भगवा पगड़ी पहने नरेंद्र मोदी कह रहे हैं, "हमारी यात्रा की सफलता ने आतंकियों को परेशान कर रखा है. लाल चौक में पोस्टर्स लगाए हैं, दीवारों पर लिखा है जिन्होंने अपनी मां का दूध पीया है वो श्रीनगर के लाल चौक आएं, आकर भारत का तिरंगा झंडा फहराएं और अगर वो जिंदा वापस जाएगा तो आतंकवादी उसे इनाम देंगे...आतंकवादी कान खोलकर सुन लें, 26 जनवरी को परसों...अब चंद घंटे बाकी हैं...लाल चौक में फैसला हो जाएगा किसने अपनी मां का दूध पीया है."

Monday, March 11, 2019

समझौता ब्लास्ट केस में थोड़ी देर में फैसला, असीमानंद कोर्ट में मौजूद

देश में आम चुनावों के ऐलान के साथ ही बने राजनीतिक माहौल के बीच सोमवार को हरियाणा के पंचकूला की स्पेशल एनआईए कोर्ट समझौता ब्लास्ट केस मामले में फैसला सुना सकती है. इस केस में फाइनल बहस पूरी हो चुकी है और कोर्ट ने अपना फैसला 11 मार्च, सोमवार के लिए सुरक्षित रख लिया था. सुनवाई के लिए सोमवार को मामले के आरोपी असीमानंद, कमल चौहान, लोकेश शर्मा और राजिंदर चौधरी पूंचकूला कोर्ट में पहुंच गए हैं. कोर्ट के बाहर आरोपियों के समर्थकों ने भारत माता की जय के नारे लगाए.

पिछले बुधवार को एनआईए कोर्ट में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान एनआईए कोर्ट में समझौता ब्लास्ट के मुख्य आरोपी असीमानंद, लोकेश शर्मा, कमल चौहान और राजिंदर चौधरी कोर्ट के समक्ष पेश हुए थे.

पिछली सुनवाई में एनआईए की स्पेशल कोर्ट में बचाव पक्ष के वकीलों की ओर से दी गई दलीलों का अभियोजन पक्ष के वकीलों ने जवाब दिया था जिसके बाद बहस पूरी हो गई और कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था. अदालत 11 मार्च को अपना फैसला सुना सकती है.

भारत-पाकिस्तान के बीच सप्ताह में दो दिन चलने वाली समझौता एक्सप्रेस में 18 फरवरी 2007 में बम धमाका हुआ था. हादसे में 68 लोगों की मौत हो गई थी. ब्लास्ट में 12 लोग घायल हो गए थे. ट्रेन दिल्ली से लाहौर जा रही थी. धमाके में जान गंवाने वालों में अधिकतर पाकिस्तानी नागरिक थे. मारे जाने वाले 68 लोगों में 16 बच्चों समेत चार रेलवेकर्मी भी शामिल थे.

ये ब्लास्ट हरियाणा के पानीपत जिले में चांदनी बाग थाने के अंतर्गत सिवाह गांव के दीवाना स्टेशन के नजदीक हुआ था. इस ब्लास्ट के सभी आरोपियों के खिलाफ पंचकूला की स्पेशल एनआईए कोर्ट में केस चल रहा है. इस मामले में 224 गवाहों के बयान अभियोजन पक्ष की ओर से दर्ज हुए थे. इस मामले में बचाव पक्ष की ओर से कोई गवाह पेश नहीं हुआ है. इस केस में कुल 302 गवाह थे. इनमें चार पाकिस्तानी नागरिक थे.

कोर्ट की ओर से पाकिस्तानी नागरिकों को लगातार समन भेजा गया लेकिन उनमें एक भी गवाह पेश नहीं हुआ. इसके बाद कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई आगे बढ़ाया था. 20 फरवरी 2007 को इस मामले की जांच के लिए हरियाणा पुलिस की ओर से SIT का गठन किया गया था. प्रत्यक्षदर्शियों के बयान के आधार पर पुलिस ने दो संदिग्धों के स्केच भी जारी किए थे. ऐसा कहा गया था कि ये दोनों ट्रेन में दिल्ली से सवार हुए थे और रास्ते में कहीं उतर गए. इसके बाद धमाका हुआ. पुलिस ने संदिग्धों के बारे में जानकारी देने वालों को एक लाख रुपए का नकद इनाम देने की भी घोषणा की थी.

15 मार्च 2007 को हरियाणा पुलिस ने इंदौर से दो संदिग्धों को गिरफ्तार किया था. ये इन धमाकों के सिलसिले में की गई पहली गिरफ्तारी थी. पुलिस इन तक सूटकेस के कवर के सहारे पहुंच पाई थी. ये कवर इंदौर के एक बाजार से घटना के चंद दिनों पहले ही खरीदा गया था.

बाद में इसी तर्ज पर हैदराबाद की मक्का मस्जिद, अजमेर दरगाह और मालेगांव में भी धमाके हुए और इन सभी मामलों के तार आपस में जुड़े हुए बताए गए. समझौता मामले की जांच में हरियाणा पुलिस और महाराष्ट्र के एटीएस को ‘अभिनव भारत’ नाम के संगठन के शामिल होने के संकेत मिले थे. जिसके बाद ये मामला एनआईए को सौंपा दिया गया था. एनआईए ने 26 जून 2011 को पांच लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी.

पहली चार्जशीट में नाबा कुमार उर्फ स्वामी असीमानंद, सुनील जोशी, रामचंद्र कालसंग्रा, संदीप डांगे और लोकेश शर्मा का नाम था. जांच एजेंसी एनआईए का कहना है कि ये सभी अक्षरधाम (गुजरात), रघुनाथ मंदिर (जम्मू), संकट मोचन (वाराणसी) मंदिरों में हुए आतंकवादी हमलों से दुखी थे और बम का बदला बम से लेना चाहते थे.

बाद में एनआईए ने पंचकूला की विशेष अदालत के सामने एक अतिरिक्त चार्जशीट दाखिल की थी. 24 फरवरी 2014 से इस मामले में पंचकूला की स्पेशल एनआईए कोर्ट में सुनवाई जारी है. अगस्त 2014 में समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट केस में अभियुक्त स्वामी असीमानंद को जमानत मिल गई. कोर्ट में जांच एजेंसी एनआईए असीमानंद के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं दे पाई थी. उन्हें सीबीआई ने 2010 में उत्तराखंड के हरिद्वार से गिरफ्तार किया था. उन पर वर्ष 2006 से 2008 के बीच भारत में कई जगहों पर हुए बम धमाकों को अंजाम देने से संबंधित होने का आरोप था.  असीमानंद के खिलाफ मुकदमा उनके इकबालिया बयान के आधार पर बना था लेकिन बाद में वो ये कहते हुए अपने बयान से मुकर गए थे कि उन्होंने वो बयान टॉर्चर की वजह से दिया था.

Tuesday, March 5, 2019

हैक हुई BJP की वेबसाइट! डाले PM मोदी पर बने मीम, कांग्रेस ने कसा तंज

सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी की वेबसाइट मंगलवार सुबह हैक हो गई. सोशल मीडिया पर लगातार लोगों ने इस तरह की बातें रिपोर्ट की. बीजेपी की वेबसाइट  bjp.org  को जब खोलने की कोशिश की जा रही है, तो वह अभी भी डाउन है.

ट्विटर पर जारी कुछ स्क्रीनशॉट के मुताबिक, बीजेपी की वेबसाइट को हैक कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कुछ तस्वीरें साझा की गई. इनमें वह जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्कल के साथ दिख रहे हैं. वहीं कुछ आपत्तिजनक शब्दों का भी प्रयोग किया गया है. हालांकि, भारतीय जनता पार्टी की ओर से अभी तक किसी तरह का बयान इसको लेकर नहीं आया है.

गौरतलब है कि भारतीय जनता पार्टी की वेबसाइट देश की सबसे बिज़ी वेबसाइटों में से एक है. BJP की आधिकारिक वेबसाइट पर पार्टी के इतिहास, पार्टी के नेताओं, राज्य सरकारों, पार्टी के कार्यक्रमों के बारे में जानकारी दी गई है.

कांग्रेस पार्टी की आईटी सेल प्रमुख दिव्या स्पंदना ने भी इस बारे में ट्वीट किया. उन्होंने लिखा, ‘’भाईयों और बहनों, अगर आपने अभी बीजेपी की वेबसाइट नहीं देखी है तो आप सचमुच कुछ मिस कर रहे हैं.’’

आपको बता दें कि इससे पहले भी देश के कई बड़ी हस्तियों की वेबसाइट हैक हो चुकी है. बीते दिनों कुछ अभिनेताओं, नेताओं और पत्रकारों के ट्विटर अकाउंट भी हैक हुए थे. कुछ दिन पहले अनुपम खेर, कांग्रेस, राहुल गांधी, अभिषेक बच्चन समेत कई बड़ी हस्तियों का ट्विटर अकाउंट हैक हुआ था.

दरअसल, दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की 6 लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर चुके हैं. आम आदमी पार्टी ने नई दिल्ली संसदीय सीट से बृजेश गोयल, पूर्वी दिल्ली से आतिशी, उत्तर पूर्वी दिल्ली से दिलीप पांडेय, साउथ दिल्ली से राघव चड्ढा, चांदनी चौक से पंकज गुप्ता और उत्तर पश्चिम दिल्ली से गुगन सिंह को उम्मीदवार बनाया गया है.

भारत का मोस्ट वांटेड आतंकी मसूद अजहर पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में बहावलपुर का रहने वाला है, उसने 2000 में जैश-ए-मोहम्मद आतंकी संगठन बनाया था. वर्ष 1999 में तत्कालीन एनडीए की सरकार ने हाईजैक किए गए इंडियन एयरलाइन्स के विमान आईसी-814 को छुड़ाने के बदलने अजहर को छोड़ दिया था. बता दें कि 50 साल के आतंकी मसूद पर 2001 में भारतीय संसद पर हुए हमले की साजिश रचने का, जम्मू कश्मीर विधानसभा पर आत्मघाती हमले और पठानकोट वायु सेना केंद्र तथा पुलवामा आतंकी हमले की साजिश रचने के भी आरोप हैं.

जम्मू कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले में सीआरपीएफ के 40 जवानों के शहीद होने के बाद भारतीय वायु सेना ने पाकिस्तान के बालाकोट में आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी शिविरों को निशाना बनाया था. जिसके बाद सरकार ने पाकिस्तान की जमीन से चलने वाले आतंकी शिविरों को तबाह करने का दावा करते हुए बड़ी सफलता मिलने की बात कही थी.

उधर, पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने एक इंटरव्यू में कहा कि जैश प्रमुख अजहर पाकिस्तान में है और उसकी सेहत बहुत खराब है. लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि अगर भारत ठोस सबूत पेश करे तो पाक सरकार उसके खिलाफ कार्रवाई कर सकती है. कुरैशी ने कहा था, ‘वह मेरी जानकारी के मुताबिक पाकिस्तान में है. वह इतना बीमार है कि अपने घर से नहीं निकल सकता.’