Thursday, January 24, 2019

दोस्त की हत्या कर 200 टुकड़े किए, हड्डी-मांस को किया टॉयलेट में फ्लश

मुंबई में एक व्यक्ति ने अपने दोस्त का 60 हजार रुपये के लिए क़त्ल कर दिया. अपने जुर्म को छिपाने के लिए उसने शव के सैकड़ों टुकड़े किए और उसे टॉयलेट में फ्लश कर दिया. यही नहीं, उसने लाश की हड्डियां और सिर अलग रखा और उन्हें थैली में भरकर भाईंदर की खाड़ी में फेंक दिया. इस घटना का खुलासा उस वक्त हुआ जब सोसाइटी के चैंबर से बदबू आने लगी.

मिली जानकारी के अनुसार, आरोपी पिंटू किशन शर्मा (40) ग्लोबल सिटी इलाके में फ्लैट नंबर 602 में रहता था, उसने हाल ही में घर किराए पर लिया था. पूछताछ में उसने बताया कि मीरा रोड के सेक्टर-9 में रहने वाले गणेश विट्ठल कोलटकर (58) ने उससे 1 लाख रुपये कर्ज लिया था. उसने 40 हजार रुपये चुका दिए, लेकिन 60 हजार रुपये के लिए आनाकानी करने लगा.

इससे दोनों के बीच विवाद बढ़ गया. फिर एक दिन दोनों के बीच झगड़ा हो गया. इस बात से नाराज होकर आरोपी पिंटू ने हत्या की योजना बनाई. उसने कोलटकर को विरार में बुलाया यहां लड़ाई के दौरान उसकी हत्या कर दी. फिर जुर्म को छिपाने के लिए उसने ग्लोबल सिटी इलाके में फ्लैट लिया.

यहां वह कोलटकर का शव लेकर गया और उसके टुकड़े-टुकड़े कर दिए. वह शव का मांस टॉयलेट में फ्लश कर देता था और हड्डियां थैली में भरकर भाईंदर की खाड़ी में फेंक देता था. उसने शव के करीब 200 से ज्यादा छोटे टुकड़े किए थे, जो फ्लश करने के कारण ड्रेनेज पाइप में फंस गए.

नाली साफ़ कर रहे थे मजदूर नाले में मिली उंगलियां...

ड्रेनेज पाइप से बदबू आने के बाद सोसायटी के पदाधिकारियों ने चैंबर की सफाई के लिए 2 मजदूर बुलाए. उन्होंने जब सफाई की तो मांस के टुकड़े फंसे मिले. उन्हें लगा कि यह चिकन या मटन है, लेकिन जब 200 से ज्यादा टुकड़े मिले तो उन्हें शक हुआ. इस बीच उन्हें उंगलियां भी मिली. यह देख मजदूरों के होश उड़ गए. फिर सोसायटी में रहने वालों ने पुलिस स्टेशन को सूचना दी. पुलिस ने मौके पहुंचकर जांच शुरू की जो पिंटू किशन शर्मा तक जा पहुंची. सख्ती से पूछताछ करने पर उसने हत्या की बात कबूल की. पुलिस ने हत्या का मामला दर्ज कर आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है.

शाओमी इंडिया हेड और ग्लोबल वाइस प्रेसिडेंट मनु जैन ने एक ट्वीट किया है. ट्वीट में उन्होंने टेक्स्ट और फोटो अपसाइड डाउन शेयर किया है. उन्होंने अपने ट्वीट में कहा है, ‘हम इस इंडस्ट्री को पलटने वाले हैं. 48 मेगापिक्सल आ रहा है’. कुल मिला कर इस ट्वीट का मतलब साफ है कि कंपनी इसे भारत में जल्दी ही लॉन्च कर सकती है. इस ट्वीट पर लोगों ने सवाल पूछे हैं कि इसे भारत मे कब लॉन्च किया जाएगा. हालांकि कंपनी ने सिर्फ जल्द लॉन्च होने की बात कही है.

सबसे बड़ी वजह इसमें दिया गया 48 मेगापिक्सल का रियर कैमरा है. यह शायद दुनिया का सबसे सस्ता स्मार्टफोन है जिसमें 48 मेगापिक्सल का रियर कैमरा दिया गया है. इसकी कीमत चीन में 999 युआन से शुरू होती है जिसे भारतीय रुपये में तब्दील करें तो 10,500 रुपये के करीब होता है. स्मार्टफोन का डिजाइन ग्लास है और इस बार कंपनी ग्रेडिएंट डिजाइन पर चल रही है.

 का ड्यूरेब्लिटि टेस्ट किया है. इसे स्केटबोर्ड की तरह भी यूज किया गया, लेकिन वीडियो में यह फोन वर्किंग है. इसके अलावा लॉन्च के बाद ये बात सामने आई कि यह स्मार्टफोन कुछ हद तक वॉटर प्रूफ भी है. हालांकि इसे IP सर्टिफिकेशन नहीं मिला है, लेकिन हल्के फुल्के पानी से ये खराब नहीं होता.

Wednesday, January 16, 2019

सपा से गठबंधन और कई प्रदेशों में BSP की धमक ने बढ़ा दिया है मायावती का कद

समाजवादी पार्टी से गठबंधन और तमाम नेताओं के बसपा सुप्रीमो मायावती के प्रति नरम बयानों ने उनका कद एकाएक बढ़ा दिया है. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव उन्हें जिस तरह तवज्जो दे रहे हैं उससे ऐसा लगने लगा है कि वह कम से कम लोकसभा चुनावों में बीएसपी को सपा से बड़ी ताकत मान रहे हैं. हरियाणा में इंडियन नेशनल लोकदल और छत्तीसगढ़ में अजीत जोगी की पार्टी बसपा के साथ हाथ मिला रखा है. जबकि महाराष्ट्र में एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार बसपा को गठबंधन में हिस्सा बनाने की बात कह चुके हैं. ऐसे में बसपा सुप्रीमो की धमक यूपी ही नहीं बल्कि देश भर के राज्यों में भी नजर आ रही है.

आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने लखनऊ में आकर जिस तरह से मायावती का आशीर्वाद लिया है उससे यह तय माना जा रहा है कि सपा-बसपा गठबंधन को बिहार में भी तवज्जो मिलने जा रही है. मायावती के जन्मदिन पर अजीत जोगी समेत तमाम नेताओं का मिलना यह बताता है कि बसपा अध्यक्ष को सियासी तौर पर कम करके नहीं आंका जा रहा है.

बसपा आज भले ही आधिकारिक रूप से राष्ट्रीय पार्टी न हो लेकिन कर्नाटक, मध्य प्रदेश और राजस्थान में पार्टी का विधायक चुने जाने के बाद बसपा की धमक बढ़ गई है. छत्तीगढ़ में भी बसपा ने अजीत जोगी की पार्टी से गठबंधन करके राजनीतिक समीक्षकों का ध्यान अपनी ओर खींचा है.

बता दें कि यूपी में सपा-बसपा गठबंधन से पहले ही मायावती देश के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग दलों के साथ हाथ मिलाकर चुनावी किस्मत आजमा चुकी है. कर्नाटक में जेडीएस के साथ मिलकर चुनाव लड़ा और उनकी पार्टी का एक विधायक जीतने में सफल रहा. इसके अलावा छत्तीसगढ़ में अजीत जोगी की पार्टी के साथ मिलकर चुनावी मैदान में उतरी और दो विधायक जीतने में सफल रहे हैं. इसके अलावा हरियाणा में इनेलो के साथ गठबंधन किया है. जबकि महाराष्ट्र के दिग्गज नेता शरद पवार कह चुके हैं कि महाराष्ट्र में से बसपा का एक सांसद चुना जाना चाहिए.

देखा जाए तो तीसरे मोर्चे के प्रयास में लगे चंद्रबाबू नायडू, गैर बीजेपी गैर कांग्रेस का नारा बुलंद करने वाले तेलंगाना के सीएम के. चंद्रशेखर राव और अब कांग्रेस से परहेज न करने वाली ममता बनर्जी से मायावती आगे निकलती दिख रही हैं. अखिलेश पहले ही कह चुके हैं कि प्रधानमंत्री यूपी से होना चाहिए, सभी जानते हैं कि उनके पिता मुलायम सिंह की इच्छा पीएम बनने की है लेकिन जिस तरह से अखिलेश माया को तवज्जो दे रहे हैं उससे कहीं से ऐसा नहीं लगता कि वह पीएम पद के लिए मायावती का विरोध कर सकेंगे.

मायावती के जन्मदिन पर बसपा प्रवक्ता सुंधीद्र भदोरिया ने जिस तरह से ट्वीट करते हुए उन्हें बधाई दी थी और लिखा था 'भारत की भावी प्रधानमंत्री बहन मायावती जी को जन्मदिन की शुभकामनाएं'. यह ट्वीट एक पोस्टर के तौर पर किया गया है जिसमें मायावती के फोटो के साथ मैसेज लिखा हुआ है. इस पोस्टर के सियासी मायने भी निकाले जाने लगे हैं. राजनीतिक जानकारों की मानें तो कहीं न कहीं पार्टी के जरिए मायावती के नाम को आगे बढ़कर बाकी दलों के रिएक्शन को देखना चाहती हैं.

महाराष्ट्र में लंबे समय तक कांग्रेस के साथ रहे रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (ए) के अध्यक्ष रामदास अठावले फिलहाल बीजेपी के साथ हैं. वह सांसद होने के साथ मंत्री भी हैं. विदर्भ का इलाके में उनकी पकड़ मानी जाती है और यहां से कांग्रेस हमेशा फायदे में रहती थी. लेकिन अठावले के बीजेपी के साथ जाने से यह समीकरण बदल गए. एनसीपी के नेता शरद पवार का मानना है मायावती को साथ लाने से इस इलाके में उनकी पार्टी को फायदा हो सकता है. ऐसे में वह बसपा सुप्रीमो मायावती और सतीश चंद्र मिश्रा से मिल चुके हैं. उनका मानना है कि बसपा का एक सांसद महाराष्ट्र से होना चाहिए.

12 जनवरी को सपा-बसपा ने लखनऊ में साथ में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर घोषणा की थी कि दोनों 2019 का चुनाव साथ मिलकर लड़ेंगे. 38-38 सीटों पर दोनों पार्टियां लड़ेंगी. रायबरेली और अमेठी की सीटों पर गठबंधन का कोई उम्मीदवार नहीं उतारा जाएगा.

मायावती का कहना था कि ऐसा इसलिए किया जा रहा है कि बीजेपी उन्हें घर न सके. हालांकि अखिलेश यादव और मायावती ने लिखे हुए भाषण पढ़े. इससे इतना तय है कि दोनों ने एक-दूसरे के भाषण भी देखे होंगे. लेकिन अखिलेश ने मायावती को रिसीव किया, उन्हें पहले बोलने का मौका दिया. राजनीतिक समीक्षकों के मुताबिक इससे ऐसा लग रहा था कि मायावती गठबंधन में बड़ी भूमिका में हैं. मायावती खुद भी इस गठबंधन की नेता के तौर पर अपने को आगे रख रही हैं.

अगर, दूसरे प्रदेशों में बसपा और मायावती की स्वीकृति की बात की जाए तो कई अन्य नेताओं की अपेक्षा माया का पलड़ा भारी दिखाई देता है. कर्नाटक में उन्होंने जेडीएस के साथ गठबंधन किया था और एक सीट जीतने में कामयाब हुई थीं. लेकिन निकाय चुनाव में बीएसपी ने 13 सीटें जीतकर यह अहसास करा दिया कि कर्नाटक में भी बसपा का वोट बैंक है.

इसी तरह, मध्य प्रदेश में भी बसपा में 2 विधायक सीट निकालने में सफल रहे. मायावती ने बिना किसी शर्त के कांग्रेस सरकार को समर्थन देने की घोषणा कर बड़प्पन का परिचय दे दिया. इसी तरह राजस्थान की बात करें तो विधानसभा चुनाव में बसपा ने अधिकतर सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे और पार्टी 6 सीटें जीतने में सफल रही. यहां भी बसपा ने बिना किसी शर्त के अशोक गहलोत की कांग्रेस सरकार को समर्थन दे दिया.

हालांकि बाद में मायावती ने कहा था कि अगर भारत बंद में शामिल लोगों पर दर्ज मुकदमे वापस नहीं लिए गए तो वह समर्थन देने के बारे में पुनर्विचार कर सकती हैं,  लेकिन अशोक गहलोत सरकार ने इसके बाद मुकदमे वापस लेने की कार्रवाई शुरू कर दी. इस तरह देखा जाए तो गैर बीजेपी और गैर कांग्रेस गठबंधन बनाने की ओर अग्रसर कोई नेता मायावती के बराबर की पकड़ दूसरे राज्यों में नहीं रखता. चंद्रबाबू नायडू की तेलगू देशम पार्टी का अस्तित्व केवल आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में ही है.

Monday, January 14, 2019

सीबीआई-ईडी जांच एजेंसियां नहीं रहीं, भाजपा की गठबंधन सहयोगी बन गईं: तेजस्वी

लोकसभा चुनावों में सपा-बसपा के गठबंधन के ऐलान के एक दिन बाद राजद नेता तेजस्वी यादव लखनऊ पहुंचे। उन्होंने यहां सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात की। तेजस्वी ने कहा कि सीबीआई-ईडी अब जांच एजेंसियां नहीं रहीं। ये अब भाजपा की गठबंधन सहयोगी बन गई हैं। लालूजी केवल इसलिए जेल में हैं, क्योंकि मोदीजी उन्हें खतरे के तौर पर देख रहे थे।

सपा-बसपा मोदी को हराने के लिए पर्याप्त- तेजस्वी

यूपी में गठबंधन में कांग्रेस के शामिल ना होने के सवाल पर तेजस्वी ने कहा, "सपा और बसपा मोदीजी को हराने के लिए पर्याप्त हैं। उपचुनावों के रिजल्ट में यह बात साफ हो चुकी है। हमारा मकसद केवल भाजपा को हराना है। राहुलजी ने कहा है कि गठबंधन में कौन है, यह महत्वपूर्ण नहीं है। भाजपा को एक भी सीट नहीं मिलने वाली है। लालूजी का भी यह कहना रहा है कि उत्तर प्रदेश में भी बिहार की तरह क्षेत्रीय पार्टियों का गठबंधन हो।

तेजस्वी ने कहा, "संघ प्रमुख मोहन भागवत ने जो बात कही थी, वही काम मोदीजी कर रहे हैं। मोदीजी से सिर्फ विचारों और सिद्धांतों की लड़ाई है। जब मूंछ भी नहीं आई थी, तब हम पर केस दर्ज करवा दिया गया था। इसमें हमारे चाचा नीतीश का भी हाथ था।"

सपा-बसपा गठबंधन से पूरा देश खुश- अखिलेश

अखिलेश यादव ने कहा कि यूपी में सपा-बसपा के गठबंधन की खुशी पूरे देश में। दिल्ली से लेकर कलकता तक और पूरे देश में भाजपा के खिलाफ लोग खड़े हैं। क्योंकि, भाजपा ने हर वक्त धोखा दिया है। किसान, युवा हर कोई भाजपा को हटाना चाहता है।

तेजस्वी ने मायावती के पैर छुए

इससे पहले तेजस्वी ने रविवार देर रात बसपा प्रमुख मायावती से मुलाकात की। उन्होंने मायावती के पांव छुए और गठबंधन का समर्थन किया। हालांकि, माया ने बिहार में राजद के साथ गठबंधन पर कहा था कि समय आने पर हम इस संबंध में बात करेंगे।

कांग्रेस ने बताया था निजता पर प्रहार

इस मामले में कांग्रेस ने कहा था कि अबकी बार मोदी सरकार ने निजता पर वार किया है। राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा था कि देश को एक पुलिस राज्य में बदला जा रहा है। यह समस्या का हल नहीं है। एक अरब से ज्यादा भारतीयों के बीच साबित हो गया कि आप (नरेंद्र मोदी) एक असुरक्षा महसूस करने वाले तानाशाह हैं। इस पर सरकार ने जवाब दिया कि कंप्यूटर डेटा की जांच के नियम यूपीए सरकार के समय साल 2009 में बने थे। अब सिर्फ संबंधित एजेंसियों को नोटिफिकेशन जारी किया गया है।

क्या है आईटी एक्ट की धारा-69 ?
इसके मुताबिक अगर केंद्र सरकार को लगता है कि देश की सुरक्षा, अखंडता, दूसरे देशों के साथ मैत्रीपूर्ण रिश्त बनाए रखने या अपराध रोकने के लिए किसी डेटा की जांच की जरूरत है तो वह संबंधित एजेंसी को इसके निर्देश दे सकती है।

शाही स्नान : 15, 21 जनवरी, 4,10,19 फरवरी, 4 मार्च
इतिहास : प्रयाग कुंभ का लिखित इतिहास में जिक्र गुप्तकाल में (चौथी से छठी सदी) मिलता है। चीनी यात्री ह्वेनसांग ने किताब में कुंभ का जिक्र किया। वह 617 से 647 ईसवीं तक भारत में रहे थे। लिखा है कि प्रयाग में राजा हर्षवर्धन ने अपना सब कुछ दान कर राजधानी लौट जाते हैं।

Monday, January 7, 2019

व्हाट्सऐप ने 20 साल से लापता को परिजनों से मिलवाया

भगवान का धन्यवाद! सोशल मीडिया का धन्यवाद!" - बेंगलुरु के एक बड़े अस्पताल में हितेंद्र सिंह यह कहते हैं. और उनके पास यह कहने की एक बड़ी वजह है.

वो ये बात वहाँ इलाज के लिए लाए गए महावीर सिंह चौहान की कहानी पर कहते हैं जो व्हाट्सऐप की बदौलत राजस्थान में अपने घरवालों से 20 साल बाद मिल सके."

महावीर के चचेरे भाई हितेंद्र सिंह ने बीबीसी हिंदी से कहा, "कई बार हम सोशल मीडिया के बुरे इस्तेमाल के बारे में सुनते हैं लेकिन हमारे परिवार और हमारे गांव ने इसका बेहद सकारात्मक प्रभाव देखा है."

राजस्थान के एक बड़े घराने से आने वाले महावीर सिंह धातु कारोबारी थे जिसमें उन्हें भारी घाटा हुआ और फिर 1998 में वो मुंबई से लापता हो गए.

घर के बड़े लोगों से अपमानित होने के डर से वो राजस्थान के झालौर ज़िले के झाब इलाक़े में अपने घरवालों को बिना कुछ बताए बेंगलुरु चले गए.

वहाँ गुलाबों की खेती के लिए भारत भर में मशहूर डोडाबल्लापुर में उन्होंने ड्राइवर, फ़ोटोग्राफ़र का काम किया और बाद में एक गुलाब फ़ार्म में सुपरवाइज़र के पद पर काम करने लगे.

पिछले सप्ताह शनिवार की सुबह उनके सहकर्मी रवि ने उन्हें ज़मीन पर गिरा पड़ा देखा. उनका दायाँ हाथ और पैर काम नहीं कर रहे थे.

रवि ने तत्काल महावीर सिंह के पुराने दोस्त किशोर सिंह दफ़्तरी से संपर्क किया जो एक फ़ोटोग्राफ़र हैं.

रवि महावीर को पास के एक अस्पताल ले गए जिसने उन्हें नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेन्टल हैल्थ एंड न्यूरो साइंसेज़ (निमहांस) रेफ़र कर दिया.

दफ़्तरी कहते हैं, "वह पिछले कुछ हफ़्तों से कमज़ोर हो गए थे और उनकी तबीयत ठीक नहीं थी. उन्होंने पीठ दर्द की शिकायत की थी और शायद इस वजह से रात में वह गिर गए."

इस बीच किशोर सिंह दफ़्तरी को महावीर के एक और दोस्त से उनका ड्राइविंग लाइसेंस मिला जिस पर उनके पिता का नाम लिखा था और साथ ही यह जानकारी भी थी कि वो जालौर के रहने वाले हैं.

किशोर ने इसके बाद एक और दोस्त से संपर्क किया जो जालौर से थे.

उन्होंने कहा, "हमने राजस्थान समाज नाम के एक ग्रुप पर शनिवार शाम को मैसेज किया और दस मिनट के भीतर हमारे पास कॉल आने लगे और आख़िर में उनके बेटे प्रद्युम्न ने कॉल किया."

और रविवार को प्रद्युम्न सिंह ने निमहांस में अपने पिता के पैर छुए. उन्होंने आख़िरी बार जब अपने पिता को देखा था तब वो मात्र चार साल के थे. पिता के लापता होने के समय उनका एक छोटा भाई भी था जो तब केवल एक साल का था.

प्रद्युमन का कहना है कि महावीर के भाव ऐसे थे जिनके बारे में वह कह नहीं सकते. वह अपने पिता को देखकर भावुक और निःशब्द हो गए थे.

प्रद्युम्न कहते हैं, "मैं बहुत अच्छा महसूस कर रहा हूं. हमने उनसे मिलने की उम्मीद कभी नहीं छोड़ी थी. यह बहुत बड़ी बात है हमारे लिए. उन्होंने मुझे पहचाना है."

वह कहते हैं, "इन सारे वर्षों में मैंने कभी अपनी मां से कुछ नहीं कहा. हमें पता था कि क्या हुआ था."

महावीर सिंह फ़िलहाल बेंगलुरु के अपोलो अस्पताल के आईसीयू में हैं जहाँ उनका इलाज चल रहा है.

अस्पताल के एक डॉक्टर ने अपनी पहचान न ज़ाहिर करने की शर्त पर कहा, "हमें संदेह है कि रीड़ की हड्डी पर दबाव पड़ने से उनके हाथ-पैर में कमज़ोरी आ गई है."